हिमाचल प्रदेश राज्य के शिमला जिला के सुदूर एक छोटा सा नगर है रोहरू। पब्बर नदी के किनारे पर बसा यह नगर काफी उन्नति कर गया है। नया बस अड्डा, एक बेहतरीन अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और कई इंस्टिट्यूट्स का घर है रोहडू। 1984 में केवल कुछ ही दुकानों, एक छोटा सा बस अड्डा भर था। नगर में रामलीला मैदान था जहां पर कई आयोजन होते थे जब भी कोई पॉलीटिकल रैली कोई बड़ा नेता यहां आता तो वहां पर भाषण जरूर होता। लोग दूर दूर से इन आयोजनों में भाग लेने के लिए आते थे। नगर में मेरी जानकारी के अनुसार उस समय केवल दो वीडियो घर थे यहां पर लोग फिल्में देखने आते थे। धीरे-धीरे बाजार का विस्तार होता गया यहां पर काफी सरकारी संस्थान भी खोले गए।
नया पोलेटेनिकल कालेज बना। उस कालेज के पीछे का मैदान हमारे खेलकूद का केन्द्र था। पास में ही पी डब्लु डी का रेस्टहाउस था और उसका पार्क शाम को लोगो से भर जाता था। गेट के पास HRTC का वर्कशाप था अब वहा पर पार्क बन गया है।
बाजार के मध्य में किताबों की दुकान थी जहा से पूरे नगर के लिए अखबार भेजी जाती। ये बात अलग है कि ये अखबार दोपहर बाद ही लोगों को उपलब्ध होते थे क्योकि ये अखबार चंडीगढ़ आदि शहरो से बस के माध्यम से ही पंहुचाए जाते थे। यहां से कभी कभी मै भी कामिक्स खरीदा करता।
अब जहां रोहड़ू कोर्ट है उसके पीछे नया स्कूल जिसका नाम बाल भारती रखा गया यह बात 1983/84 की है। मेरा भी स्कूल में दाखिला 1984 में हुआ। एक दो वर्षों के बाद यह स्कूल गंगटोली मे शिफ्ट हुआ। इसका नाम भी बदला सरस्वती विद्या मन्दिर । स्कूल के प्रधानाचार्य थे श्री जियालाल। उनका व्यक्तिव बेहद प्रभावशाली था। उनका लेखन बेहद सुंदर था। मेरे प्रिय अध्यापक थे श्री राम चन्द्र और श्री मनमोहन । मनमोहन सर गणित पढ़ाते थे। लेकिन हमे पसन्द थी उनकी कहानियां। वो गजब के कहानीकार थे। अक्सर हमें कहानियां सुनाते। रामचन्द्र सर का व्यवहार बेहद सौम्य था।
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